PM Modi Cyprus Visit: G7 से पहले PM मोदी का साइप्रस दौरा, तुर्की को मिला साफ संदेश

PM Modi Cyprus Visit: G7 से पहले PM मोदी का साइप्रस दौरा, तुर्की को मिला साफ संदेश

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस रविवार को साइप्रस पहुंचेंगे, और यह यात्रा ऐतिहासिक होगी क्योंकि बीते बीस वर्षों में यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। यह यात्रा 15 से 17 जून को कनाडा में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन के दौरान उनके मार्ग की एक अहम कड़ी है।

भारत-तुर्की तनाव के बीच साइप्रस यात्रा का बढ़ता महत्व

यह दौरा (PM Modi Cyprus Visit) ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और तुर्की के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ रहा है। इससे पहले केवल इंदिरा गांधी (1983) और अटल बिहारी वाजपेयी (2002) ने साइप्रस का दौरा किया था। मोदी की यह यात्रा दुनिया को एक स्पष्ट संदेश देने के रूप में देखी जा रही है, खासतौर पर तुर्की को, जिसने हाल ही में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया है।

PM Modi Cyprus Visit: दशकों पुराने भरोसेमंद रिश्ता

भारत और साइप्रस (पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा) के संबंध 1960 के दशक से ही मजबूत रहे हैं। भारत भी स्वतंत्र साइप्रस को मान्यता देने वाले पहले देशों में था।

  • Cyprus ने कश्मीर मुद्दे पर हमेशा भारत का समर्थन किया है।
  • भारत ने भी तुर्की के 1974 के आक्रमण के बाद साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है।
  • दोनों देशों के बीच रक्षा, शिक्षा, व्यापार और प्रवास से जुड़े कई समझौते हुए हैं।

साइप्रस ने महात्मा गांधी को सम्मानित किया है, वहीं भारत ने आर्चबिशप माकारियोस (Archbishop Makarios) को श्रद्धांजलि दी है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल के माध्यम से साइप्रस में अपनी भूमिका भी निभाई है।

आर्थिक संबंध और IMEC में साझेदारी

साइप्रस (PM Modi Cyprus Visit) भारतीय निवेश के लिए यूरोप का प्रवेश द्वार रहा है। दोनों देशों ने शिपिंग, पर्यटन और IT सेक्टर में सहयोग किया है। इसके साथ ही, भारत और साइप्रस मिलकर इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) पर काम कर रहे हैं, जो व्यापार और कनेक्टिविटी को मजबूती देगा।

PM Modi Cyprus Visit: साइप्रस-तुर्की विवाद

1974 में तुर्की के सैन्य आक्रमण के बाद से साइप्रस उत्तर और दक्षिण में बंट गया। तुर्की समर्थित हिस्से ने 1983 में “नॉर्दर्न साइप्रस” के रूप में खुद को स्वतंत्र घोषित किया, जिसे सिर्फ तुर्की ही मान्यता देता है। यूनाइटेड नेशंस और यूरोपीय संघ सिर्फ “रिपब्लिक ऑफ साइप्रस” को मान्यता देते हैं। राजधानी निकोसिया अब भी दो हिस्सों में बंटी हुई है — यह यूरोप की आखिरी विभाजित राजधानी है। गैस संसाधनों की खोज ने विवाद को और जटिल बना दिया है। तुर्की और तुर्की साइप्रस की ओर से अवैध समुद्री अन्वेषण के कारण तनाव और बढ़ गया है।

मोदी की यात्रा का बड़ा कूटनीतिक संदेश

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा (PM Modi Cyprus Visit) भारत की साइप्रस के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराती है और यह तुर्की को स्पष्ट संदेश देती है कि भारत अपने पुराने मित्रों के साथ खड़ा है।

  • साइप्रस की आगामी EU काउंसिल प्रेसिडेंसी भारत के लिए यूरोपीय संघ के साथ संबंध मजबूत करने का अवसर है।
  • यह यात्रा व्यापार, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को भी गति देगी।
  • IMEC प्रोजेक्ट के संदर्भ में साइप्रस के साथ करीबी संबंध भारत को मध्य पूर्व और यूरोप में रणनीतिक बढ़त दिला सकते हैं।

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