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मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी लोगों के बीच जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जनता को सरकार की उपलब्धियों, योजनाओं से अवगत कराते हैं। लेकिन इस यात्रा को उस तरह की प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है जैसी की पार्टी को उम्मीद थी। यही वजह है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने हस्तक्षेप किया है। जन आशीर्वाद यात्रा को मिल रही कमजोर प्रतिक्रिया और पार्टी में दलबदल के सिलसिले से नेतृत्व परेशान है।
बीजेपी ने पिछले महीने घोषणा की थी कि 2008, 2013 और 2018 के विपरीत बिना किसी विशेष नेता के पांच स्थानों से यात्रा निकाली जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले तीन चुनावों से पहले यात्रा का नेतृत्व किया था। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि यात्रा पर प्रतिक्रिया और दलबदल पर चर्चा के लिए भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने सोमवार को दिल्ली में एक बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक मूल रूप से इस सप्ताह घोषित होने वाले उम्मीदवारों की दूसरी सूची पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी।
भाजपा के एक दूसरे पदाधिकारी ने कहा कि नेतृत्व विशेष रूप से दीपक जोशी, भंवरसिंह शेखावत और गिरिजाशंकर शर्मा जैसे दिग्गजों के दलबदल से चिंतित है, जो पार्टी की विचारधारा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। दो बार के विधायक, शर्मा को 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। 2018 और 2020 के बीच 18 महीनों को छोड़कर, भाजपा 2003 से राज्य में सत्ता में रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सत्ता विरोधी लहर और अंदरूनी कलह को खत्म करने की कोशिश के लिए बार-बार मध्य प्रदेश का दौरा किया है। चौहान ने पिछले महीने इन्हीं कारणों से अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और इसमें तीन मंत्रियों को शामिल किया। मध्य प्रदेश और चार अन्य राज्यों में विधनसभा चुनाव होने हैं। ये राज्य भारत की आबादी का लगभग 15 फीसदी है। इनसे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए माहौल तैयार करने की उम्मीद है।
वहीं कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सत्ता में वापसी की उम्मीद है। पार्टी 2018 में सत्ता में आई थी, लेकिन मार्च 2020 में 22 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने की वजह से कमलनाथ सरकार गिर गई थी। मई में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस राज्य में अगली सरकार बनाएगी और 230 में से 150 सीटें जीतेगी। कांग्रेस ने 2022 में हिमाचल प्रदेश और मई में कर्नाटक की सत्ता बीजेपी से छीन ली थी। ऐसे में पार्टी के हौंसले बुलंद हैं।
एक तीसरे पदाधिकारी ने कहा कि नेतृत्व इस बात से भी नाखुश है कि यात्रा को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘लोगों की भागीदारी असंतोषजनक है। फोटो और वीडियो क्लिप से पता चलता है कि कोई व्यापक समर्थन नहीं मिल रहा है। पार्टी नेतृत्व को 39 सीटों पर घोषित उम्मीदवारों सहित स्थानीय नेताओं के पक्ष और विपक्ष में ईमेल और पत्र मिल रहे हैं।’ बता दें कि यात्रा को तीन सितंबर को चित्रकूट से हरी झंडी दिखाई गई थी और इसका समापन 25 सितंबर को भाजपा के अग्रदूत भारतीय जनसंघ नेता दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर भोपाल में एक कार्यकर्ता रैली के साथ होगा।