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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए पूर्ण बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने बड़ी घोषणा करते हुए ब्रेस्ट कैंसर और फेफड़ों के कैंसर प्रयोग होने वाली दवाओं के लिए कस्टम ड्यूटी में छूट की घोषणा की है। कैंसर की तीन प्रमुख दवाओं के लिए सीमा शुल्क में पूरी छूट की घोषणा की गई है। जानकारों का कहना है कि इससे मरीजों को बहुत मदद मिलेगी। जिन दवाओं को छूट मिली है उनमें ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन,ओसिमर्टिनिब और डर्वालुमैब शामिल हैं जिनका प्रयोग कुछ प्रकार के कैंसर में लक्षित कैंसर थेरेपी के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक छूट के बाद इलाज की लागत में 20% तक की कमी आ सकती है।
ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन एक एंटीबॉडी-ड्रग कंजुगेट है जिसका उपयोग मुख्य रूप से HER2-पॉजिटिव स्तन कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है जो शरीर के अन्य भागों (मेटास्टेटिक) में फैल गया हो। गैस्ट्रिक कैंसर जैसे अन्य प्रकार के कैंसर में उपयोग के लिए इस पर शोध किया जा रहा है। वहीं ओसिमर्टिनिब एक टारगेटेड थेरेपी है जिसका प्रयोग ईजीएफआर जीन में म्यूटेशन के साथ फेफड़ों के कैंसर (एनएससीएलसी) के इलाज के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से उन कैंसर के खिलाफ प्रभावी है जो ईजीएफआर अवरोधकों की पिछली पीढ़ियों के लिए प्रतिरोध विकसित कर चुके हैं। डर्वालुमैब एक इम्यूनोथेरेपी दवा है। इसका उपयोग फेफड़ों के कैंसर (एनएससीएलसी) और यूरोथेलियल कार्सिनोमा (मूत्राशय कैंसर) के इलाज के लिए किया जाता है।
सर गंगा राम अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. श्याम अग्रवाल ने बजट में मिली छूट पर बात करते हुए कहा “सभी इंपोर्टेड जीवन रक्षक दवाएं महंगी हैं और कैंसर की दवाओं के लिए भी यही बात लागू होती है। इसलिए सीमा शुल्क में छूट एक अच्छा कदम है। और मरीजों को ज्यादातर लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है इसलिए लागत को कम करने के लिए सभी कदम स्वागत योग्य हैं।” वहीं सीके बिड़ला अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक मंदीप सिंह मल्होत्रा ने कहा, “सीमा शुल्क से छूट संभावित रूप से कीमत को 10-20% तक कम कर सकती है जिससे ये उपचार रोगियों के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे। हालांकि सटीक आंकड़ों के लिए विस्तृत जानकारी की जरूरत होगी।”
कैंसर की दवाओं के साथ-साथ वित्त मंत्री ने एक्स-रे ट्यूब और डिजिटल डिटेक्टरों के कंपोनेंट्स पर सीमा शुल्क में छूट की भी घोषणा की है। इसके बारे में जानकारों का मानना है कि इससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AiMeD) के फोरम कोऑर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा, “चूंकि इन दो महत्वपूर्ण कंपोनेंट के लिए कोई घरेलू निर्माता नहीं है इसलिए सरकार की ओर से कदम सराहनीय है।” फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ आशुतोष रघुवंशी ने कहा, “चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों के लिए मूल सीमा शुल्क में बदलाव का प्रस्ताव घरेलू OEM निर्माताओं को लागत कम करने, स्थानीय सोर्सिंग को प्रोत्साहित करने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में काफी मदद पहुंचाएगा।”
इस बजट में स्वास्थ्य मंत्रालय को 90,658.63 करोड़ रुपये मिले जो पिछले बजट से 12.59% ज्यादा है। वहीं प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएमएबीएचआईएम) को 3200 करोड़ रुपये का मिले हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य पर और ध्यान देने की जरूरत है। आकाश हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक आशीष चौधरी ने कहा, “स्वास्थ्य नौ मुख्य प्राथमिकताओं में से एक नहीं था और स्वास्थ्य के मामले में चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने की जरूरत है।”
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