भिंड में निजी स्कूल संचालकों को किताबों को स्कूल से बेचने या कहीं और से बिकवाने पर रोक लगा दी गई है। दरअसल इसके के माध्यम से वह अभिभावकों से मोटी रकम वसूल करते हैं। जिसकी लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं।
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सभी निजी विद्यालय संचालकों और प्राचार्यों को हिदायत दी है कि वे अपनी किताबें अभिभावकों पर थोपने से बचें अन्यथा की स्थिति में कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। किसी भी एक या चिह्नित दुकान से पुस्तक और ड्रेस खरीदने के लिए भी कलेक्टर ने सचेत किया है।
उन्होंने कहा कि स्कूल संचालक, प्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड करेंगे एवं विद्यालयीन सार्वजनिक सूचना पटल पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अंतर्गत स्कूल की स्वयं की बेबसाइट होना अनिवार्य होगा।
ज्यादा कीमत पर किताबें खरीदी हैं तो रुपये होंगे वापस
निर्धारित रेट से अधिक कीमत की किताबें न खरीदी जाएं। जिन छात्रों ने इससे अधिक कीमत की किताबें खरीदी है उनके रुपये वापस कराए जाएं। – संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर भिंड
किताबों की कुल कीमत 800-1200 रुपये के बीच होगी
बैठक में भिंड कलेक्टर ने सर्वसम्मति से 1 से लेकर 8वीं तक की किताबों के मूल्य का निर्धारण किया है। अब इनमें पढ़ाई जाने वाले किताबों की कुल कीमत 800 से लेकर 1200 के बीच रहेगी। कक्षा एक और दो में पढ़ने वाले छात्रों की किताबों की कीमत 800 रुपये होगी।
इसी तरह कक्षा 2 और 3 में पढ़ने वाले छात्रों के सिलेबस की कीमत 900 रुपये होगी। इसी तरह 5वीं के छात्र का सिलेबर 1 हजार रुपये में खरीदा जा सकेगा। वहीं 6वीं से 8वीं का सिलेबस 1200 रुपये का रहेगा। जिन बच्चों ने इससे पहले किताबें खरीद ली हैं उनके पैसे वापस होंगे।