फैमिली कोर्ट में अब वीडियो कान्फ्रेंसिंग से भी होगी मध्यस्थता और सुनवाई

फैमिली कोर्ट में अब वीडियो कान्फ्रेंसिंग से भी होगी मध्यस्थता और सुनवाई


दूसरे देशों में रह रहे दंपतियों के लिए एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की अनुमति दे दी है। इसके बाद से कुटुम्ब न्यायालय ने ऐसे दंपतियों की ऑनलाइन सुनवाई शुरू कर दी है।

विदेश में रह रहे दंपतियों को राहत देते हुए मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने पारिवारिक विवादों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से मध्यस्थता और सुनवाई की अनुमति दे दी है। अब पति, पत्नी या दोनों के विदेश में रहने के बावजूद कुटुम्ब न्यायालय उनके बीच के पारिवारिक विवाद जैसे तलाक, भरण पोषण इत्यादि में वीसी के माध्यम से सुनवाई कर फैसला सुना सकेगा।

न्यायालय ने ऐसा करना शुरू कर भी दिया है। दरअसल, अब तक ऐसे मामलों में पति, पत्नी की न्यायालय में व्यक्तिगत उपस्थित अनिवार्य हुआ करती थी। मध्यस्थता की प्रक्रिया और बयान उनके प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होने पर दर्ज किए जाते थे, लेकिन मध्यस्थता एक्ट 2023 लागू होने के बाद इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिकाएं प्रस्तुत हुईं, जिनका निराकरण करते हुए हाई कोर्ट ने वीसी के माध्यम से मध्यस्थता और सुनवाई की अनुमति दे दी।

केस 1 : अमेरिका निवासी सनम मेहता ने पत्नी के खिलाफ लगाई थी याचिका

अमेरिका निवासी सनम मेहता ने कुटुम्ब न्यायालय इंदौर में पत्नी के खिलाफ तलाक के लिए याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने मध्यस्थता की कार्रवाई वीसी के माध्यम से कराए जाने की गुहार लगाई थी, लेकिन कुटुम्ब न्यायालय ने आवेदन निरस्त कर दिया। इस पर सनम ने मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष याचिका प्रस्तुत की।

उन्होंने हाई कोर्ट को बताया कि मध्यस्थता एक्ट 2023 लागू होने के बाद वीसी के माध्यम से मध्यस्थता और सुनवाई की जा सकती है। इस पर कोर्ट ने कुटुम्ब न्यायालय को वीसी के माध्यम से मध्यस्थता के आदेश दिए। हाल ही में वीसी के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से तलाक को लेकर सहमति बनी। सनम ने पत्नी को आजीवन भरण पोषण के लिए 28 हजार रुपये देना स्वीकार किया।

केस-2 : अमेरिका में रह रही पत्नी ने भारत में रह रहे पति से लिया तलाक

अमेरिका में निवासरत पत्नी ने भारत में रह रहे पति से आपसी सहमति के आधार पर विवाह विच्छेद के लिए कुटुम्ब न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की। इसमें उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए वीसी के माध्यम से मध्यस्थता करवाए जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। न्यायालय ने आवेदन स्वीकारते हुए मध्यस्थता करवाने के आदेश दिए। पीठासीन अधिकारी अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश आरके जैन ने मध्यस्थता की कार्रवाई पूरी करवाई।

केस-3 : पत्नी कनाडा में तो पति अमेरिका में

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पत्नी कनाडा में रहती है और पति अमेरिका में। दोनों आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते थे। उनकी ओर से नियुक्त आम मुख्तयार उनके पिता ने एडवोकेट अमरसिंह राठौर के माध्यम से हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत तलाक की याचिका कुटुम्ब न्यायालय में प्रस्तुत की।

हाई कोर्ट के आदेश के प्रकाश में एडवोकेट राठौर ने वीसी के माध्यम से मध्यस्थता और सुनवाई के लिए आवेदन दिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि दोनों पक्ष आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं और वीसी के माध्यम से सुनवाई के लिए तैयार हैं। तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश माया विश्वलाल ने आवेदन स्वीकारते हुए वीसी के माध्यम से मध्यस्थता के आदेश दिए।