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कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को कहा कि वे केवल रील्स बनाने वाले लोग नहीं हैं। लोकसभा में पिछले दो दिन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा, “हम केवल रील बनाने वाले लोग नहीं, मेहनत करने वाले लोग हैं।” उनकी यह टिप्पणी तब आई जब विपक्ष ने रेल बजट पर चर्चा के जवाब में “अश्विनी वैष्णव हाय हाय” के नारे लगाए।
रेल मंत्री ने कहा, “लोको पायलटों के औसत कार्य और आराम का समय 2005 में बनाए गए एक रेलवे एक्ट के नियम द्वारा तय किया जाता है। 2016 में, हमने इन नियमों में संशोधन किया और लोको पायलटों को अधिक सुविधाएं दी गईं। सभी रनिंग रूम यानी 558 में एसी लगाया गया है। लोको कैब बहुत अधिक कंपन करते हैं, गर्म होते हैं और इसलिए 7,000 से अधिक लोको कैब वातानुकूलित (एसी लगे हुए) हैं। यह उन लोगों के समय में जीरो था जो आज रील बनाकर सहानुभूति बटोर रहे हैं…”
इससे पहले रेलवे की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर ‘झूठ की दुकान’ चलाने का आरोप लगाते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे में सुरक्षा की ‘कवच’ प्रणाली के आधुनिक संस्करण को देश के प्रत्येक किलोमीटर रेल नेटवर्क पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर लोकसभा में पिछले दो दिन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वैष्णव ने यह भी बताया कि रेलगाड़ियों में सामान्य डिब्बों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए करीब ढाई हजार सामान्य कोच के उत्पादन का विचार सरकार ने किया है, 50 और अमृत ट्रेन के निर्माण का फैसला लिया गया है तथा कम दूरी वाले दो शहरों के बीच वंदे मेट्रो चलाई जाएंगी।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों की सुरक्षा के लिए स्वचालित रेलगाड़ी सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली दुनिया के अधिकतर देशों में 1970 और 1980 के दशक में लगाई गई थी, लेकिन ‘‘दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस के 58 साल के कार्यकाल में और 2014 से पहले तक भारत के एक भी किलोमीटर रेलवे नेटवर्क पर यह प्रणाली नहीं लग पाई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम मानते हैं कि कांग्रेस के समय रेलवे में कई प्रयोग किए गए, लेकिन जिस संवेदना के साथ या जिस भावना से काम होना चाहिए, नही किया गया।’’ पश्चिम बंगाल के कुछ सदस्यों द्वारा ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान लागू ‘टक्कर रोधी उपकरण’ प्रणाली का उल्लेख किए जाने पर वैष्णव ने कहा कि 2006 में देश के करीब 1500 किलोमीटर रेल मार्ग पर यह प्रणाली लगाई गई। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से इसका कोई सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं था और 2012 में इसे हटा दिया गया। काम करने की जैसी पद्धति, रेलवे में जैसी गंभीरता होनी चाहिए थी, तब नहीं थी, लेकिन आज है।’’
विपक्ष के कुछ सदस्य इस पर आपत्ति जताते देखे गए। रेल मंत्री ने कहा, ‘‘मैं यहां राजनीति नहीं करना चाहता, तथ्यों को सबके सामने स्पष्ट रूप से रखना चाहता हूं।’’ उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद ‘कवच’ प्रणाली के बारे में विचार किया गया और 2016 में इसे लागू करने का निर्णय ले लिया गया।
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