कितनी पुरानी है हमारी पृथ्वी, वैज्ञानिकों ने कैसे तय की इसकी उम्र? समझिए

कितनी पुरानी है हमारी पृथ्वी, वैज्ञानिकों ने कैसे तय की इसकी उम्र? समझिए


How old is Earth: पृथ्वी की उम्र कितनी है? इसको लेकर लगभग सभी वैज्ञनिकों का एक ही मत है। वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन (454 करोड़) वर्ष है। हालांकि 5 करोड़ वर्ष का मार्जिन ऑफ एरर लेकर चलते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, 454 करोड़ वर्ष में 5 करोड़ वर्ष आगे-पीछे हो सकते हैं। यह अनुमान विभिन्न वैज्ञानिक विधियों और अनुसंधानों के आधार पर लगाया गया है।

वैसे अन्य वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद यह अनुमान 1950 के दशक से अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है। पृथ्वी की उम्र निर्धारित करने के प्रयासों का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन यूनानी दार्शनिक अरस्तू का मानना ​​था कि समय शाश्वत है और इसलिए पृथ्वी भी अनंत काल से मौजूद है। इसके विपरीत, प्राचीन भारतीय विद्वानों ने एक ऐसे ब्रह्मांड की कल्पना की थी जो बार-बार फैलता और सिकुड़ता रहता है। उन्होंने अनुमान लगाया कि पृथ्वी की आयु लगभग 197 करोड़ वर्ष है।

मध्यकालीन काल के दौरान, ईसाई धर्मशास्त्रियों ने बाइबिल के ग्रंथों के आधार पर पृथ्वी की आयु का अनुमान लगाया। जी. ब्रेंट डेलरिम्पल की पुस्तक, “द एज ऑफ द अर्थ” में लिखा है कि ईसाइयों ने पृथ्वी की आयु का अनुमान 5,471 और 7,519 वर्ष लगाया था। 17वीं और 18वीं शताब्दियों में, विभिन्न वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के ठंडा होने की दर, तलछट के संचय और महासागरों के रासायनिक विकास जैसे अवलोकनों के आधार पर पृथ्वी की आयु का अनुमान लगाने का प्रयास किया।

वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की आयु कैसे निर्धारित की?

पृथ्वी की आयु को निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिकों ने कई तकनीकों और विधियों का उपयोग किया। इनमें से कुछ प्रमुख विधियां निम्नलिखित हैं:

रेडियोमेट्रिक डेटिंग:

यह विधि रेडियोधर्मी तत्वों यानी रेडियोएक्टिव एलिमेंट्स के क्षय (डिके) पर आधारित है। पृथ्वी की चट्टानों और खनिजों में पाए जाने वाले रेडियोधर्मी आइसोटोप्स (जैसे यूरेनियम-238, पोटैशियम-40, और थोरियम-232) का अध्ययन किया जाता है। इन आइसोटोप्स के आधे-जीवन (हाफ-लाइफ) को जानकर वैज्ञानिक यह अनुमान लगाते हैं कि वे कब से मौजूद हैं। यूरेनियम-लेड डेटिंग सबसे आम तकनीक है जिसका इस्तेमाल पृथ्वी की सबसे पुरानी चट्टानों और खनिजों की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

चंद्रमा और उल्कापिंडों का अध्ययन:

पृथ्वी की आयु का निर्धारण करने के लिए वैज्ञानिकों ने चंद्रमा और उल्कापिंडों (मेटियोराइट्स) की भी जांच की है। चंद्रमा और उल्कापिंडों की चट्टानों की रेडियोमेट्रिक डेटिंग ने भी इसी प्रकार के परिणाम दिए हैं जो पृथ्वी की आयु के अनुमान को समर्थन देते हैं। उल्कापिंडों की आयु लगभग 456 करोड़ वर्ष मानी जाती है, जो सौर मंडल की उत्पत्ति के समय के आस-पास की है।

जीवाश्म रिकॉर्ड और भूवैज्ञानिक समय:

पृथ्वी की सतह पर पाई जाने वाली सबसे पुरानी चट्टानों और जीवाश्मों का भी अध्ययन किया गया है। यह अध्ययन यह बताने में मदद करता है कि पृथ्वी पर जीवन कब शुरू हुआ और विभिन्न भूवैज्ञानिक कालखण्डों की अवधि कितनी है। प्रीकैम्ब्रियन शील्ड्स, जो पृथ्वी की सबसे पुरानी चट्टानों में से हैं, की आयु भी 400 करोड़ वर्ष से अधिक मानी जाती है।

पृथ्वी की आयु का निर्धारण करना एक जटिल प्रक्रिया है, जो विभिन्न वैज्ञानिक विधियों और प्रमाणों पर आधारित है। रेडियोमेट्रिक डेटिंग, चंद्रमा और उल्कापिंडों का अध्ययन, और भूवैज्ञानिक समयमान का विश्लेषण, सभी ने यह पुष्टि की है कि हमारी पृथ्वी लगभग 454 करोड़ वर्ष पुरानी है। इन विधियों की निरंतरता और वैज्ञानिक प्रमाणों की ताकत ने हमें इस निष्कर्ष तक पहुँचाया है। इस प्रकार, पृथ्वी की आयु का निर्धारण वैज्ञानिक शोध और तकनीकी प्रगति का परिणाम है, जो हमें हमारे ग्रह की उत्पत्ति और विकास के बारे में अधिक समझने में मदद करता है।