त्योहारी सीजन शुरू होते ही बड़ी कंपनियों और विभिन्न ब्रांड्स ने अपने सालाना ऑफर्स शुरू कर दिए हैं। खासकर, ई-शॉपिंग पोर्टल पर आपको ये लुभावने ऑफर बड़ी आसानी से दिख जाएंगें, लेकिन इसमें आपको सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि साइबर ठग फर्जी वेबसाइट बनाकर खरीदारों के साथ ठगी की वारदात को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं। ग्राहक थोड़ी सी सावधानी बरतकर धोखाधड़ी से बच सकते हैं।
इन बातों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
वेबसाइट की सत्यता कैसे जांचें: कभी भी ऑनलाइन खरीदारी करते समय जल्दबाजी नहीं करें। वेबसाइट की सत्यता जांचने के लिए इसका यूआरएल लिंक और डोमेन नाम जरूर जांचें।
स्पेलिंग जरूर चेक करें: किसी अनजान नाम से भेजे गए ई-मेल और वेबसाइट को खोलने से पहले उस पर लिखे गए टेक्स्ट की स्पेलिंग जरूर चेक करें। आमतौर पर फर्जी ई-मेल और साइट पर स्पेलिंग गलत लिखी होती है।
…तो कोई भी खरीदारी न करे: वेबसाइट पर सामान, उसकी रेटिंग और ग्राहक सेवा नंबर यानी कस्टर केयर नंबर की जानकारी न हो तो कोई भी खरीदारी न करें।
मैसेज और ओटीपी को ध्यान से पढ़ें: ऑनलाइन भुगतान करते समय मोबाइल या मेल पर मिले मैसेज और ओटीपी को ध्यान से पढ़ें। इन्हें संभाल कर रखें, जब तक सामान डिलीवर ना हो जाए।
कंप्लेन करने में न करें देरी: धोखाधड़ी होने की स्थिति में जितना जल्दी हो सके शिकायत दर्ज करवाएं। इससे शीघ्र कार्रवाई की संभावना बढ़ जाती है।
लिंक के न करे डाउनलोड: किसी भी शॉपिंग ऐप को आधिकारिक ऐप स्टोर से ही डाउनलोड करें। किसी के भेजे गए लिंक से इसे डाउनलोड न करें।
नकली पोर्टल की कैसे करें पहचान
कीमतों में भारी अंतर अक्सर इस तरह की वेबसाइट महंगे सामान की कीमतों में भारी छूट देती हैं। संपर्क जानकारी न होना नकली वेबसाइट पर कंपनी का पता या ग्राहक सेवा (Customer Care) नहीं नहीं होता। भुगतान का संदिग्ध तरीका नकली ई-शॉपिंग वेबसाइट पर ज्यादातर यूपीआई का विकल्प दिया जाता है। भुगतान करने के दौरान कंपनी का नहीं, किसी अन्य शख्स का नाम दिखाई देता है।
कहां करें शिकायत
ऑनलाइन ठगी हो गई है तो तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। कई बार लोगों को यह समझ में ही नहीं आता है कि साइबर ठगी की शिकायत कहां दर्ज कराएं या फिर लोग कई बार थाना जाने से भी बचते हैं, मगर आप ऑनलाइन भी साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए https//www.cyber crime.gov.in साइट पर विजिट कर सकते हैं या फिर नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 (पहले यह नंबर 155260 था) पर कॉल कर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
इस तरह वेबसाइट की असलियत का पता लगाएं
●सबसे पहले उसका डोमेन नेम चेक करें। देखें कि यूआरएल में https हो न कि खाली http। फिर साइट की स्पेलिंग भी देखें।
●डोमेन किसके नाम पर है, यह जांचने के लिए https//www. whois.com) पर जाएं। सर्च बॉक्स में संबंधित वेबसाइट का यूआरएल लिंक दर्ज करें।
●इससे उस वेबसाइट की पूरी जानकारी उपलबल्ध हो जाएगी।
●ग्राहक अन्य वेबसाइट scamadviser.com पर जाकर कंपनी की विश्वसनीयता रेटिंग भी जान सकते हैं। इससे यह पता चल जाएगा कि कंपनी खरीदारी करने के लिए कितनी सुरक्षित है।