वॉशिंगटन
भारत के विपक्षी नेता राहुल गांधी हाल ही में अमेरिका गए थे। जहां उन्होंने सिखों की आस्था की आजादी से जुड़ा बयान दिया था। उनके इस बयान के एक हिस्से को अब खालिस्तान समर्थकों ने उठा लिया है। आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा, ‘वॉशिंगटन डीसी में भारतीय विपक्षी नेता राहुल गांधी का तथ्यात्मक रूप से सच्चा बयान, जिसमें उन्होंने माना कि भारत में सिखों के अस्तित्व को खतरे का सामना करना पड़ रहा है। यह खालिस्तान जनमत संग्रह अभियान के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा और पंजाब की स्वतंत्रता के लिए समर्थन बढ़ाएगा।’ हालांकि राहुल गांधी ने अपने बयान में कहीं भी ऐसा नहीं कहा कि वह खालिस्तान का समर्थन करते हैं।
पाकिस्तान के जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पन्नू ने कहा, ‘बीजेपी, आरएसएस के सदस्य तथ्यों को स्वीकार करने के लिए राहुल गांधी की निंदा कर रहे हैं। वह सिखों, पंजाब और खालिस्तान के दुश्मन हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस के सदस्यों को मोदी के भारत में सिखों पर हो रहे उत्पीड़न के बारे में जानकारी दी है।’ राहुल गांधी ने अपनी स्पीच में कहा था, ‘लड़ाई इस बात को लेकर है कि क्या भारत में एक सिख को अपनी पगड़ी या कड़ा पहनने की अनुमति दी जाएगी। या वह एक सिख के रूप में, गुरुद्वारा जाने में सक्षम होगा। यहीं लड़ाई है और यह सभी धर्मों के लिए है।’
भारत के खिलाफ पन्नू का जहर
पन्नू ने कहा, ‘राहुल गांधी का बयान न केवल खालिस्तान जनमत संग्रह को उचित ठहराता है। बल्कि यह कांग्रेस पार्टी, विपक्षी नेता के इस अहसास को भी दिखाता है कि पंजाब भारतीय संघ से अलग होने की कगार पर है। भारत और पाकिस्तान का नया पड़ोसी।’ पन्नू ने आगे भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए कहा, ‘राहुल गांधी ने अमेरिका को संकेत दिया है कि कांग्रेस पार्टी ने स्वीकार कर लिया है कि सिखों को मोदी के भारत में अस्तित्व के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।’
राहुल गांधी के दौरे से बवाल
राहुल गांधी का अमेरिका दौरा अपने साथ नए विवाद लेकर आया। राहुल गांधी ने अमेरिकी सांसद इल्हान ओमार से मुलाकात की, जिसने विवाद पैदा कर दिया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी भारत विरोधी ताकतों से मिल रहे हैं। इल्हान ओमार एक ऐसी सांसद है, जिसका झुकाव पाकिस्तान की ओर है। वह भारत के खिलाफ जहर उगलती रही है। बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने इस पर कहा, ‘राहुल गांधी विपक्ष में हैं। वह ऐसे दौरे में शामिल हैं जो भारत के खिलाफ है। लेकिन इस बार मामला गंभीर है। वह भारत के पहले नेता प्रतिपक्ष न गए हैं, जिन्होंने किसी घोषित भारत विरोधी सांसद से मुलाकात की है।’